भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ठूंठ अर चूंच / अम्बिका दत्त
Kavita Kosh से
धिक्कार छै ई कठफोड़ी जूण नै
सारी उमर
ठक-ठक करतां ही खड जावे
पण
तोल ई न्ह पडे
आवाज ठूंठ में सूं आ रही छै
क चूंच म सूं ।