ठेंगे पर पञ्चाट / राम सेंगर
पञ्च-मकारी बोंके-कूदे
ठेंगे पर उसके पञ्चाट ।
हस्ती को तान कर रबड़-सा
कहे, कौन उससे है ऊँचा ।
नाक लगाए नक़ली मोमी
ठसक बघारे नकटा बूचा ।
चूहा, पंसारी बन बैठा
हल्दी की गाँठ लगी हाथ ।
पुल पर पटके परात, माँड़े
दिखा-दिखाकर सबको आटा ।
बाँस का निहन्ना ले आई
झाड़े महरारू फर्राटा ।
नशा बाल-बच्चों में फूँका
सीधे मुँह करें नहीं बात ।
आईना देखे तो जाने
भंगिमा हुई असहज कैसी ।
आपे का दम्भ दुर्मुखी है
छोड़े करके ऐसी-तैसी ।
बड़ा ख़ुदा से केवल नंगा
नंगे का अपना ही ठाठ ।
आसमान का थूका मुँह पर
अभी इब्तिदा है, इतरा ले ।
उखली में सिर जब आएगा
पड़ें तभी मूसल से पाले ।
सागर को मकड़ा थाहेगा
करने कुछ करिश्मा हठात ।
पञ्च-मकारी बोंके-कूदे
ठेंगे पर उसके पञ्चाट ।