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ठेकान / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
जखन मोन होयतै
तखन
गंगामे चुभकबै
भरि-भरि चुरू
पानि पीबै
हेलबै
दीयरि पर जाय
ओंघरेबे
लोकगीत गयबै
फेर
माथ पर पगड़ी
हाथमे लाठी
महीस पर बैसि
तमाकू चुनाय
घर घुरि अयबै।
हमर ठेकान-
हम छियै
महीसबार
हमर घर
महीसक बथान
कार्यालय
महीसक पीठ।