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ठोकरें / सुभाष नीरव
Kavita Kosh से
पहली ठोकर
उसके क्रोध का कारण बनी।
दूसरी ने
उसमें खीझ पैदा की।
तीसरी ठोकर ने
किया उसे सचेत।
चौथी ने भरा आत्मविश्वास
उसके भीतर।
अब नहीं करता वह परवाह
ठोकरों की!