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ठोठ / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
म्हूं जाणूं
कै ठोठ रैणौ पाप है
पण
कीं' सीखण सारू
ठोठ होवणौ
जरूरी है
जे म्हूं
हरेक सुवाल रौ
बता सकूं जवाब
तद
म्हारै सूं बडौ ठोठ
कुण हुय सकै।