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डंड / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
समै
आपरी गति स्यूं चालै
पून
आपरी गति स्यूं बैवै
प्रकृति
आपरै हिसाब स्यूं चालै
आपां प्रकृति मुजब
कदी नीं चालां
इण सारू
आपां भुगतां
आप-आपरै
करमां रौ डंड।