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डच तस्वीरों में औरतें / यूनीस डिसूजा / ममता जोशी
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उनके चेहरों को उकेरती
दोपहर के सूरज की आभा
दिखाती है
वे शान्त हैं, बेवकूफ़ नहीं
माँ बनने वाली हैं, पर गाय सरीखी नहीं
चित्रों में नही,
ज़िन्दगी के कैनवस पर
ऐसी ही औरतों से वाकिफ़ हूँ मैं ।
एक रिश्तेदार
जो पति को पलट कर जवाब नहीं देती थीं
इसलिए नहीं कि वह साधारण दिखतीं थीं
और आन्ना
जो कविताएँ लिखती है
सोचते हुए कि मक्खनफल (ऐवोकाडो) का बीज
उसकी रसोई में जम सकता है
आवाज़ में उसकी
जौवार और शहद की
मिठास घुली है ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : ममता जोशी