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डराता है यह समय / शहंशाह आलम

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आग का दरिया है मेरे यार, अपना यह समय
सपने में आते हैं भयानक डायनासोर
नहीं पढ़ा हमने कोई ऐसा विज्ञापन न देखा
जिसमें गारंटी दी गई हो पुरसुकून समय की


चित्रांकन-हेम ज्योतिका

और यह कि कटने से बच जाएँगे दरख़्त
बिछड़ने से बच जाएगा बच्चा
भादों का पानी नहीं घुसेगा कमज़ोर मकानों में
मस्तक पर नहीं पड़ेंगी भय की सलवटें
और यह कि नहीं बढ़ेंगे हत्यारे हमारी तरफ़

पूरी नींद तक डराता है यह समय
मछलियाँ, चिड़ियाँ और मनुष्य
बुरा करता रहता है सबका
हमारी गर्म सांसों पर बिछ जाती है बर्फ़
गर्भवती स्त्रियाँ अपनी देह में हर्ष महसूस नहीं करतीं

एक अरसा हुआ

ख़ालू मेरे लौटकर आए नहीं घर
बुरा नहीं किया था मेरी ख़ाला ने किसी का
न ख़ौफ़ज़दा किया था वसंत ऋतु को
मधुमक्खी के छत्ते को बचाकर रखा था
शक्कर बचाकर रखा था, और
बचाकर रखा था दरवाज़े के बाहर पुरानी खटोली
इस सबसे निश्चिंत कि वित्तमंत्री माथापच्चियों में लगे रहे हैं

हमेशा हमसे लहू माँगता रहा है यह समय
हमेशा हमारी इच्छाओं के विरुद्ध जाता रहा है यह समय
रिसालों और अख़बारों के पन्नों में
छाया यह समय हाकिमे-वक़्त के साथ है
अनाज से भरा है जिनका घर उनके साथ है

टटोलो मेरे यार, कहाँ है अच्छा समय
और अच्छे शब्द कहाँ हैं
कहाँ हैं अच्छे लोकवाद्य
क़ातिलों की टोली गा रही है समवेत :
यह समय इतना ख़राब नहीं है
जितना की बयान कर रहा है यह लड़का.