भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
डर ! / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
पड़ी हाथी पर
कीड़ी री नजर
देख'र हालतों चालतो डूंगर
बडगी बिल में डर'र
पड़ी कीड़ी पर
हाथी री निजर
देख'र जुल्घती परतख मोत
करली सूंड ऊपर !