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डर भी पर लगता तो है न / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
चटख मसाले और अचार
कितना मुझको इनसे प्यार!
नहीं कराओ इनकी याद
देखो देखो टपकी लार।
माँ कहती पर थोड़ा खाओ
हो जाओगी तुम बीमार
क्या करूं पर जी करता है
खाती जाऊं खूब अचार।
पर डर भी लगता तो है न
सचमुच पड़ी अगर बीमार
डॉक्टर जी कहीं पकड़ कर
ठोक न दें सूई दो-चार।