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डर है ये हादसा न हो जाये / सूरज राय 'सूरज'

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डर है ये हादसा न हो जाये।
आपसे फ़ासला न हो जाये॥

जब वह मुझसे कहेगा कैसे हो
आँसुओं से ख़ता न हो जाये॥

या ख़ुदा पी तो रहा हूँ, लेकिन
ज़हर ये भी दवा न हो जाये॥

मिल रही है रदीफ़ को शोहरत
ये कहीं क़ाफ़ि या न हो जाये॥

आपको अपनी बुज़ुर्गी का नशा
देखना बचपना न हो जाये॥

हश्र के रोज़, इक अंदेशा है
मुंसिफ़ों को सज़ा न हो जाये॥

उम्र इस एहतियात में गुज़री
कोई हमसे ख़फ़ा न हो जाये॥

फाइलुन-आइलुन के चक्कर में
शायरी ही फ़ना न हो जाये॥

नाम "सूरज" है मगर डरता हूँ
रात से सामना न हो जाये॥