भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
डर / वीरा
Kavita Kosh से
बच्चे ने
दिन में
बन्दर देखा
वह डरा
मैं हँस कर
अपने काम में लगी रही
बच्चा
रात में चौंक कर उठा
उसने आसपास देखा
रोता ही रहा
मैं तब से लगातार
जाग रही हूँ
मेरे बच्चे के सपने में
कौन आया होगा?