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डांखळा 1 / गणपति प्रकाश माथुर
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टेल एण्ड पर हो गांवडिय़ो, धणी न कोई धोरी।
पाणी बिजळी री ही किल्लत, जिनगाणीं ही दोरी।।
माड़ो हाल बांरो।
आधो गांव कुंवारो।।
इस्यै खाडै खोबचै में कुण परणावै छोरी।।
बिना घूंस लैसंस बणवास्यूं कैयो मूंछा नै फडक़ा।
डीटीओ दफ्तर मैं जा’र करबा लाग्यो खडक़ा।।
किलरक ताबै कोनी आयो।
लाइसेंस कोनी नवड़ायो।
छै: हीना होग्या ‘बनवारी’ अजै मारै गडक़ा।।
टूरिस्टां नै गाइड बतायो, ‘न्याग्रा फाल’ रो राज।
सूपर सोनिक स्यूं भी है भयंकर दूरी गाज।।
पछै बो हिमळाई सूं।
बोल्यो लोग लुगाई सूं।।
भैणां जे चुप हो ज्यावै तो, सुणल्यां आ आवाज।।