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डार्लिंग हार्बर / रेखा राजवंशी
Kavita Kosh से
पंक्तिबद्ध रेस्तराँ
चाइनीज़, मलेशियन, एशियन
जेपनीज़, कोरियन, इंडियन
और डार्लिंग हार्बर का पुल
ऊँची-ऊँची इमारतों से घिरा
दिखता नहीं है सिरा ।
देखती हूँ जिस ओर
सुनाई देता है
लोगों के बतियाने का शोर ।
कॉफ़ी हाउसेज़ और
मकडोनल्ड में बैठे लोग
पार्क की घास में
धूप सेंकते अधलेटे लोग ।
तरह-तरह के व्यंजन खाते
कहकहा लगाते लोग
कपचीनो मफिन के साथ
खेल और मौसम का
की बातें करते लोग ।
छोड़ देती हूँ बेवज़ह
ख़्यालों में खोना
विमुक्त हो जाती हूँ
और बन जाती हूँ मैं
डार्लिंग हार्बर का एक कोना ।