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डाल्यूँ का दगड़्यो / तोताराम ढौंडियाल 'जिग्यांसु'

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द$दा रे बांजा! क्या भुला बुरांसा ? क्या भुला उतीसा ?
औरे द$दा! हिलीमिली हैंसि ख्यलला!!
दिद्यो ए रंसूल्यो! क्या भुल्यो बंसूल्यो ? क्या भुल्यो हंसूल्यो ?
ऐल्या दिद्यो! हिलीमिली हैंसि ख्यलला!!
सब्यूंका सौंजड़्यो!
क्या बुनां प्वतल्यो ? क्या बुनां चखुल्यो ?
ऐल्या ग्वथिन्यो! हिलीमिली हैंसि ख्यलला!!
नाचा! नाचा! हे कुलूंवूं! वो कन्दारा! रे दिवारा!
हम बड़ा छौं-छ्वटुंथैं पाला!!
सुंण सुरई! जड़िबूट्यूं थैं द्यख्दि रई!
लगैकै टक्लै सुंण्यां! रंगमतमा कै न दबय्यां! पय्यां सब्बुथैं दिंयां!!
औरे शेरा! औरे मोरा! औरे बागा! सुंण रे स्याला!
औरे गूंणी! हे बान्दरा! ए रे रिका! औ चुतर्यला!!
सब मिलिकै बाजा बजा! सब मिलिकै दगड़ि नाचा!
सब मिलिकै नाचा! गौंला! इनिकै हमुं सुकी रौंला!!
जड़ चेतन प्रकृति हिलिमिलिकै इनिछै नचणीं!
ओ! हो! हो! हो! इनिछै नचणीं!!
तब्बि बाग सि बखर्यूं मा मन्खि प्वड़ींईं! अहा! मन्खि प्वड़ींईं!
मिर्ग-बखरि दौड़ि सकीं, इनैं-फुनैं सबि भजिईं!!
क्वी लुकिगीं, छ्वटा-छ्वटा हिटि नि सका, लुकि नि सका, हपत्वलिकै भपत्वलिकै वखि म्वरिंईं!
दाना-दिवना; भाजि नि सका, हिटि नि सका, लुकि नि सका-बन्दुकि कु हुंईं!!
अहा! बन्दुकि कु हुंईं!!
डालि-बोटि खड़ि ह्वैकैकि इनो चिलईं-"नांआं !नांआं! नांआं! नांआं! नांआं! हमुं ना मारा! नांआं! नांआं! नांआं! हमुं ना मारा!!
लखड़ु द्यूंला! घास द्यूंला! हवा द्यूंला! पांणि द्यूंला!
कूड़ा बणौला! माटो बचौंला! फूल द्यूंला! फल द्यूंला!!
डाल्यूँ का दगड़्यो! तुमु गवा क...त ?
आज ह्वैगाय रे हमारि मौ...त!!
डाल्यूँ का दगड़्यो! तुमु कनैं गावा ?
कटान हूंणू च् हमुथैं बचावा!!
डालि बोट्यो! जड़ि-बूट्यो! तुमु न ड$रा! न ड$रा! न ड$रा!
धीरज ध$रा! ऐगंवां हमुं, तुमरा दगड़्या-डाल्यूँ का दगड़्या!!
नंगि भूमि मा जंगल बणौंला!
न ड$रा! न ड$रा!हम तुम्तैं बचौंला!
डाल्यूँ का दगड़्यो! हमु बचवां, फुल्याँ-फल्याँ! जुगराज रयाँ!
खय्याँ-कमय्याँ! सुकि रयाँ! फुल्याँ-फल्याँ! जुगराज रयाँ!!