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डा. माहेश्वर की फोटो / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
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गए पुस्तक मेले में
मिले थे डा. माहेश्वर
एक स्टाल पर
कुछ किताबें खरीदते हुए

देखते ही खुश हुए
मुस्कुराहट उभर आई चेहरे पर
चमक दिखी आंखों में
फिर किसी बात पर
अनायास हंस पड़े

दिल खोलकर हंसते थे डा. माहेश्वर
दिल खोलकर हंसना उनकी आदत थी
परेशानी जब झलकने लगती थी माथे पर
तब एकाएक कहीं भी
किसी भी बात पर
दिल खोलकर हंसने लगते थे
और हंसते हुए किसी रोमवासी की तरह
दिखते थे डा. माहेश्वर

पुस्तक मेले में
जब वो हंस रहे थे
तब मैंने अपने कैमरे से
उनकी एक फोटो उतारी थी
फोटो देने घर आना’
वह जाते हुए बोले थे

मैं उनके घर नहीं जा पाया
उनको फोटो नहीं दे पाया
बहुत देर हो चुकी थी
डा. माहेश्वर अब अपने घर में नहीं थे
मेरे कैमरे से उतारी गई
उस फोटो में उतर आए थे
डा. माहेश्वर . . .

रचनाकाल:2000