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डिंगा पुजावन / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे बोले तो लागलरे बनियाँ सोनाकासे आहे।
होरे पुजाहुसे आवे हे सोनिकी डलिया साजले हे॥
होरे पाँच भल सावेहे सोनिका सामने बोलाय हे।
होरे सखी दसआवे हे सोनिका सामने बोलाय हे।
होरे पूजे तो लागल हे सोनिका सवे डिंगा नाव रे॥
होरे नावजे पूजिये से नोनिका भैगेली तैयार हे॥
होरे सुमिरे लागल रे बनियाँ तेंतीस कोटि देव हे॥
होरे सुमिरे लागल रे बनियाँ भोला महादेव हे।
होरे गंगा किनारे हे बिषहरी देले दर्शन हे॥
होरे बिषहरी पूजबेर बनियाँ झट फल पायेवे रे।
होरे लंका के बनिज रे साँए धरके पलटाययेबो रे॥
होरे इतना सुनिये रे चान्दो लेले बहियाय रे।
होरे हमना पुजब रे दैबा कानी बंगा खौकी रे॥

नोट: प्रिय पाठको जब चांदो ने किसी भी प्रकार का पूजा नहीं दिया तो पाँचों बहिनों ने कहा कि हम तुम्हारे नाव को त्रिवेनी में डूबो दूँगी। हुआ भी ऐसा ही। जब चाँदो अपने छवो पुत्रों के साथ नाव लेकर व्यापार करने चले तो त्रिवेनी में पहुंचते 2 पुनः पांचों बहिन प्रगट हुई और पूजा मांगी लेकिन चांदो ने नहीं कर दिया। इस पर पाँचों बहिनों ने हनुमान जी पर ध्यान किया। हनुमान जी आये और इन नौकाओं को डूबो दिया। उनके छवो बेटे फिर डूब गए. जब चांदो डूबने लगे तो पाँचों बहिनों ने कहा कि इसको मत डूबने दो क्योंकि इसको मारने से हमें पूजा कौन देगा; खैर हनुमान जी ने उसे बचा लिया और चांदो दुख का मारा अपने घर चौपाई नगर कैसे पहुंचा सो सुनिये-


होरे वाके तो लिवाके रे डेगी जाइछै भासल रे॥
होरे एक बाके गेले रे डेगी दुइ वाके गेले रे।
होरे तिसरही वाके रे छई त्रिवेणी के घाट रे॥
होरे जाय जो जुमल रे डेंगी त्रिवेणी के घाट रे।
होरे पाँचो तो बहिन रे माता लेल दरपन हे॥
होरे आवहु पुजबो रे बनियाँ मैना बिषहरी रे।
होरे हमना पुजबौ रे दैवा कानी वेंगी खौकी रे।