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डिसपोजेबल नहीं है स्त्री / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
स्त्री सिगरेट नहीं है
कि छूने लगे तुम्हारी अँगुलियां
फेंक दो तुम
जली, अधजली, सुलगती कहीं भी
ऐसी किताब भी नहीं है
कि छिपकर पढ़ो
छिपाकर रख दो
टाइम-पास भी नहीं है
खाली वक्त भरो
डिसपोजेबुल नहीं है स्त्री
आँच है
ऊर्जा और प्रेरणा देती है
जब छली जाती है
सब कुछ डिसपोज कर देती है।