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डूंगर / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
डूंगरां, धरती हेला मारै !
मती हाबका मारो थां स्यूं
आभो कद नवड़ावै ?
खोटा भुगतै लाख बावनूं
चांद कणां अपड़ावै ?
मत ल्यो थे कानां में कोआ
थां री हूण पुकारै।
डूंगरां, धरती हेला मारै!
पड़सी कर अरड़ाट बीजल्यां
टूट सींगड़ा जासी,
ऊंधै मंूडै टोळ बापड़ा
गुड़ता नीचै आसी,
गूमर, भूल्या आज, हुवैली
नीची नाड़ सुवारै,
डूंगरां, धरती हेला मारै !
सूरज बाळै टाट, चामड़ी
लूआं चिमठ्यां चूटै,
पण बड़पण रो नसो किस्यै दिन
सोरै सांसां छूटै ?
कोई विरळा जका आपरी
निमळाई हंकारै ।
डूंगरां, धरती हेला मारै !