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डूंगी सी डाबर रे कै फूलां की महकार / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
डूंगी सी डाबर रे कै फूलां की महकार
लीला सा घोड़ा रे कौन करै असवार
के मैं सूं चन्दा हे संझा का लणिहार
आ मेरे माई जाये रे के बैठो तखत बिछाय
थारे घोड़ियां ने दाना रे तमनै रस भर खीर