भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

डूंगी सी डाबर रे कै फूलां की महकार / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डूंगी सी डाबर रे कै फूलां की महकार
लीला सा घोड़ा रे कौन करै असवार
के मैं सूं चन्दा हे संझा का लणिहार
आ मेरे माई जाये रे के बैठो तखत बिछाय
थारे घोड़ियां ने दाना रे तमनै रस भर खीर