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डूबते वक़्त भी तिनके का सहारा है मुझे / बल्ली सिंह चीमा
Kavita Kosh से
डूबते वक़्त भी तिनके का सहारा है मुझे ।
यूँ लगे है कि किनारों ने पुकारा है मुझे ।
इन अभावों में मुहब्बत की नदी सूख गई,
फिर भी लगता है कि सोहणी ने पुकारा है मुझे ।
मौत हर मोड़ मुसीबत में मेरे साथ रही,
फिर भी जीवन ही हरेक चीज़ से प्यारा है मुझे ।
इस ग़रीबी ने मुझे दुख तो दिए हैं ’बल्ली’
फिर भी जीवन के संघर्षों में उतारा है मुझे ।