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डूबते सूरज से आँखें चार करके देखिए / रविकांत अनमोल

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डूबते सूरज से आँखें चार करके देखिए
फिर यही मंज़र किसी से प्यार करके देखिए

ज़िन्दगानी में किसी से प्यार करके देखिए
इस भँवर को भी कभी पतवार करके देखिए

देखिएगा किस क़दर ये क़ीमती हो जाएगी
ज़िन्दग़ी को प्यार में दुश्वार करके देखिए

पीठ पर विश्वास की ख़ंजर चलाना छोड़ कर
मेरे सीने पर किसी दिन वार करके देखिए

ज़िन्दगी को देखना चाहें अगर नज़दीक़ से
वक़्त की मद्धम ज़रा रफ़्तार करके देखिए

आएगी ख़ुशबू दुआओं की दरो-दीवार से
दिल किसी मज़लूम का गुलज़ार करके देखिए

ख़ार भी फूलों ही की डाली पे लगते हैं हुज़ूर
इनको भी इक दिन गले का हार करके देखिए

ख़ुद-ब-ख़ुद रब की हक़ीक़त पर यक़ीं आ जाएगा
प्यार पर मेरे यक़ीं इक बार करके देखिए

देखने का इक तरीक़ा ये भी है अनमोल जी
देखने की सरहदों को पार करके देखिए