भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

डॉक्टर / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सीताराम सीताराम!
नकली दवाय सबके मार रहलो हे,
इहे ये
असपताल के डाक्टर
रोगी के भूत झार रहलो हे
इहे हो
आला के कमाल,
तोहर गरिबका के हाल
भीतर के रो
खंघर रहलो हे
तों सुगबुगा नै
सब सहो,
अदना से कहो सब कहो
लेकिन
अपना से नै कहो
अपना से कहला से,
नहला कही
कट न जाव दहला से