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डोलिया तनी विलमाव / रामपुकार सिंह राठौर

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कहरा हो कहरा डोलिया तनी विलमाव
छूटल अब नहिरा के गाँव
तनिको ठहर जो हे भैया कहरिया
बहिनो मैया रोवे डाढ़े दुअरिया
थर-थर बाबूजी के पाँव। हो...
सपना हो गेल आज नैहरा के गलिया
सखिआ सलेहर के साथ रंगरेलिया
मन के मन रहल सभे चव। हो...
दीदी दीदी बोले पोसल सुगनवाँ
बैला गैया हुंकरे ह रे अगनवाँ
बार-बार पड़ी तोर पाँव। हो...
हाथ ओलरले ननबुटना भतीजावा
पत्थर भेलै हम्मर फटल नै करेजवा
ठहरे न, लोर के बहाव। ही...
भर अँखिय देखेदे बगिया अमरैया
नदिया पहाड़ और तलवा तलैया
रोक तनी नीमिंवां के छाँव। हो...
लाल-लाल डोलिया में सबजी ओहरिया
मुँहवों पर ओढ़वल पितमरी चदरिया
कुच्छो न सूझे बचाव हो...
चुप रहु चुप रहु नकी दुलहनिया
लड़की के घर अप्पन सजन के मकनियां
होतबऽ जब पिया से लगाव। हो...
मनवा में रखऽ अपन पिया के सुरतिया
बिसरे न पावे ई मन से मुरतिया
बड़ बढ़िया उनकर सुभाव। हो...