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ढळतो दिन / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
साव उदास
आ’र बैठग्यो
सरवर री पाळ पर
ढळतै’र घड़ा भर’र जाती
पिणहारयां नै
आ’ गी चीत बीं नै
आप री धिराणी
उड़ग्या कर’र चुग्गो पाणी
सगळा पंखेरू
आप आप रै आळां कानी
ल्यावै
चोपै नै हांक’र पाछो गांव में
बंतळ करता गवाळिया
चसग्यो
हूंतां ही गोधळक्यां
चसग्यो
बालाजी रै देवरै रो
चौमुख दिवळो
देख’र नुंअै जलमतै च्यानणै नै
आ’ ग्या मरतै उजास री आंख्यां में
तारां मिस
आणद रा आंसू !