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ढिगळी होवण तांई / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
भोत तळै जाय’र
नीसरयो है कूओ
रास रा निसाण
आपरै मुंडै री
समूळी गोळाई में
कोरिया ऐनाण
पण नीं बतावै
किण दिस
कुण जात
भरती ही पाणी।
काळीबंगा रो मून
बतावै
एक जात
आदमजात
जकी
भेळी जागी
भेळी ई सोई
भेळप निभाई
ढिगळी होवण ताईं।