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ढूँढता है प्यार जीवन / धीरज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
आर है या पार जीवन।
ढूँढता है प्यार जीवन।
आँसुओं की गीतमाला
साँझ जब बैठी पिरोये !
फिर भला मुस्कान कैसे
रात होंठो पर सँजोये !
घुट रहीं संवेदनायें
काटना दुश्वार जीवन ।
ढूँढता है प्यार जीवन ।
स्वयं की अर्थी उठाये
हम सफर में चल रहे हैं !
पर यहाँ भी दूत यम के
हर कदम पर छल रहे हैं !
बाँचती है झूठ दुनिया
स्वार्थ का व्यवहार जीवन।
ढूँढता है प्यार जीवन।
कैद में सारे उजाले
ले गयी हैं ज्यों बलायें !
दूर तक फैले अँधेरे
हम कहाँ तक दिल जलायें !
आस की बैसाखियों पर
बस टिका लाचार जीवन ।
ढूँढता है प्यार जीवन ।