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ढूँढ़ रहे हम पीतलनगरी / योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’
Kavita Kosh से
ढूँढ़ रहे हम पीतलनगरी
महानगर के बीच !
यहाँ तरक्की की परिभाषा
यातायात सघन
और अतिक्रमण, अख़बारों में
जैसे विज्ञापन
नहीं सुरक्षित कोई भी अब
यहाँ सफ़र के बीच !
हर दिन दूना, रात चौगुना
शहर हुआ बढ़कर
और प्रदूषण बनकर फ़ैला
कालोनी कल्चर
कहीं खो गया लगता अपना
घर नंबर के बीच !
ख्याति यहा~म की दूर-दूर तक
बेशक फैली है
किंतु रामगंगा भी अपनी
बेहद मैली है
कोशिश भी कुछ नहीं दीखती
किसी ख़बर के बीच !