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ढूँढ रहा नादान दूसरा / हरि फ़ैज़ाबादी
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ढूँढ रहा नादान दूसरा
घर जैसा स्थान दूसरा
कोशिश मत कर नामुमकिन है
लिख पाना क़ुरआन दूसरा
सच्चाई है बेहद मुश्किल
चुन लो कुछ उन्वान दूसरा
सोचो कितनी मुश्किल होती
होता गर भगवान दूसरा
क़िस्मत आड़े आई वरना
दिल में था अरमान दूसरा
आख़िर कब तक देगी दुनिया
लड़की को सम्मान दूसरा
ख़ुद पर करो भरोसा तुम पर
कब तक देगा ध्यान दूसरा