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ढेर सारे प्रश्न पूछ आपने / नईम
Kavita Kosh से
ढेर सारे प्रश्न पूछे आपने
अच्छा किया।
मुझे मेरा मन लगा है मापने-
अच्छा किया।
बहुत लिक्खा, मेहरबाँ थोड़ा पढ़ें,
ख़र लिखा होतो उसे घोड़ा पढ़ें।
यातनाएँ भूख-प्यासें गर लिखी हों-
कुल मिलाकर नियति का कोड़ा पढ़ें।
ढेर सारे प्रश्न पूछे क्या लिखूँ
हाथ मेरा लगा है खुद काँपने।
हों भले बाईस पसेरी, एक धान,
भौंकते इस आदमी से भले श्वान;
मिले भी जो दोस्त-दुश्मन डगर पर-
किसी की खाली नहीं है आज म्यान।
कर रहा हूँ याद कुछ का कुछ
अपनी कमज़ोरी लगा मैं हाँफने
अच्छा किया।
खास तो कुछ नहीं लेकिन चलन ऐसा,
प्रिया, पत्नी सभी का है बाप पैसा।
फ़र्क क्या पड़ता, लिखूँ या ना लिखूँ-
छोड़िए भी देस जैसा भेष वैसा।
आप भी हालत से दो-चार हों
चिताओं पर हम लगे हैं तापने-अच्छा किया।