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ढोढ़ाई नाग का चौपाई नगर जाना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे जाई तो जुमल रे नागा अहारी पोखर रे।
होरे विष के पोटरी रे नागा करइछे अहार रे।
होरे सिंघी तो मछली रे नागा गेलो उड़ियायरे।
होरे किछ विष खएलक रे दैबा चुटिया बिरनी रे॥
होरे किछ विष खएलक रे दैबा बिछुआसे मारे रे।
होरे किछु विष हेरी बोले दैबा धरती में आवे रे॥
होरे खाइवे पीवेगे रे नागा भैगेल तैयार रे।
होरे पोखरी पहाड़ रे नागा नींद तो माताल रे।
होरे तो ख्याल पड़लौ रे नागा देबी के बचन रे॥
होरे खोजते-खोजते रे नागा भैगेल छकौत रे।
होरे मने मन आबे रे नागा थगने लागल रे॥
होरे कौनते जबाब रे दैबा देवी से कहब रे।
होरे केदल खोजल रे नागा चलल बरु जाय रे॥
होरे जाय तो जुमल रे नागा चौपाई नगर रे।
होरे चांदी के बंगला रे नागा नजर पड़ली रे॥
होरे बंगला देखिके नागा फिरल जे आवे रे।
होरे यह तो हवाल रे दैबा देवी से कहब रे॥
होरे तवे तो बचे रै दैबा दे हमार परान रे।
होरे चलल जे आवे रे नागा देवी के हजूर रे॥

होरे बुद्धि के आगरि जे छैई दौतीला भवानी रे।
होरे नजर पड़ल माता नागा के ऊपर हे॥
होरे चलल जे आवेगे बहिनी ढोढवा जेनाम रे।
होरे आय तो जुमली रे नागा देवी के हजूर रे॥
होरेकरजे रि आवे रे नागा बोले तो लागल रे।
होरे किगे मैं कहब हे माता कहल नहीं जाय हे॥
होरे वर जोर कैल हे माता चांदो सौदागर हे।
होरे चन्दवा जीतलौ हे माता तोहे तो हारबा हे॥
होरे हम ना डन्सले हे माता बाला लखन्दर हे।
होरे एतना सुनिते हे माता मन रिसिअइले हे॥
होरे ऐसन जबाबा रे नागा फेरु ना बोलबे हे।
होरे विषीकेर पोटरी रे नागा झरियर राखल रे॥
होरे अहारी पोखरी रे नागा करे छैला अहार रे।
होरे सिंघी तो मछली रे नागा करेला अहार रे॥
होरे बंगला देखिते रे नागा फिर तो आयल रे।
होरे देहला सराप हे माता ढोढवा के आवे रे॥
होरे तोहरे कटले नागा विष ना चढ़ते रे।
होरे आज दिन आवे रे नागा भैगेल अजीत रे॥
होरे जल में आवे रे नागा तोहर जे बास रे।