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ढोढ़ाई नाग का बोलाहट / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

होरे मनजे पड़बो हे माता ढोढाई से नाग हे।
होरे करले हंकार हे माता ढोढाई से नाग हे॥
होरे देवी का जबाब रे नागा सरवन सनवल।
होरे दौड़ल जे आवे रे नागा कैले परछन हे॥
होरे आगू भये जावैं रे नागा कैले परनाम रे॥
होरे पीछे हटि आगे रे नागा बोलै छै जबाब रे।
होरे किये दुख पड़लौ हे माता कौन तो विपति हे॥
होरे से हो तो बचन हे माता कहो समझाय हे।
होरे किये तो कहबो रे पूता कहला नहिं जाय हे॥
होरे चांदवा जीतल रे पूता हमें जे होरल रे।
होरे बचा से पोसलों रेनागा करलो जुआन रे॥
होरे आजु दिन कावे रे नागा होइहे सावधान रे।
होरे पनवां जे खइबे रे नागा होइहे सावधान रे॥
होरे आज राती डसी रे देहो बाला लखन्दर रे।
होरे छप्पन सौ नाग रे करबों सरदार रे॥
होरे मिरतु भुवन रे नागा पूजबा दियलबों रे।
होरे रतन बंधायबों रे नागा नैना दोनों तोर रे॥
होरे सोवरने बंधायबों रे नागा दुसरो तोहार रे।
होरे बोले तो लागल रे नागा देबी जबाब रे॥
होरे विष केर छीन माता कैसे के डन्सबे हे।
होरे अतना सुनिये हे देवी विष बरू देलेत हे॥
होरे सात तोला विष हे माता ढोढाई के देले हे।
होरे पनवां जे खाये नागा भेल सावधान रे॥
होरे चली भेल आवे से नागा चौपाई नगर रे।
होरे करि परिनाम रे नागा चलल जे जाई रे॥