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ढोलक बजायैं, मस्त होके आल्हा गाय रोज / कोदूराम दलित

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ढोलक बजायैं, मस्त होके आल्हा गाय रोज,
इहां-उहां कतको गंवइया-सहरिया,
रुख तरी जायें, झुला झूलैं सुख पायं अड,
कजरी-मल्हार खुब सुनाय सुन्दरिया ।।

नांगर चलायं खेत जा-जाके किसान-मन,
बोवयं धान-कोदो, गावैं करमा ददरिया ।
कभू नहीं ओढ़े छाता, उन झड़ी झांकर मां,
कोन्हो ओढ़े बोरा, कोन्हों कमरा-खुमरिया ।।