तकलीफ़ का कोई पड़ाव नहीं / हेमन्त शेष

तकलीफ़ का कोई पड़ाव नहीं

न प्रेम। न व्यस्तता। न यात्रा। न इतवार।

लगातार बह रही ज्यों कोई

अग्नि-नदी

समय के भीतर। बस, चुपचाप।

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.