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तकलीफ़ का कोई पड़ाव नहीं / हेमन्त शेष

तकलीफ़ का कोई पड़ाव नहीं

न प्रेम। न व्यस्तता। न यात्रा। न इतवार।

लगातार बह रही ज्यों कोई

अग्नि-नदी

समय के भीतर। बस, चुपचाप।