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तकिया / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर
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ज़ीने की यही सबसे ऊपरी सीढ़ी
बाक़ी सीढ़ियाँ
नींद के तहख़ाने में उतरी हुईं
अंधेरी गहराइयों में फैले
अपने ही तहख़ाने में
लौटा ले जाती है नींद
बेहद शांत और महफूज़ घर नींद का
जीने के लिए
चाहे जितनी धका पेल मची हो
शुक्र है नींद के लिए
कोई लड़ाई नहीं
तकिया एक सीढ़ी की
इबादतगाह है
और इस पर मत्था टेकना
थके शरीर की सबसे ईमानदार प्रार्थना