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तजरबैकार रूंख / सांवर दइया
Kavita Kosh से
होळै-सी-क छेडगी मुळक परी
अचपळी हवा
खिल-खिल दांत काढण लाग्या
पत्ता
हाडी-हाडी नाचण लागी
जाणै रूंवां में आयगी हुवै
ऊमर रो असर है
आ सोच
अबोलो ऊभो रह्यो
रुतां सागै खेल्योड़ो-खायोड़ो
बरसां रो तजरबैकार रुंख !