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तटस्थ के प्रति / गोरख पाण्डेय

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चैन की बाँसुरी बजाइये आप

शहर जलता है और गाइये आप

हैं तटस्थ या कि आप नीरो हैं

असली सूरत ज़रा दिखाइये आप


(रचनाकाल :1978)