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तत्ता है / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
खाली अपना पिट्टा है।
भूख से हालत खस्ता है।
ऊँ...ऊँ दुद्धू पिऊँ तो कैसे?
दुद्धू तत्ता...तत्ता है।
मम्मी भी हैं पास नहीं।
पापा भी हैं गए कहीं।
भूखा रहना होगा अब तो-
ऐसा मुझको लगता है।
सूरज सिर पर चढ़ आया।
रोने को मन कर आया।
रो भी दूँ तो कौन सुनेगा,
किसको मेरी चिंता है?