तत्व से न्यारे निरंजन / शिवदीन राम जोशी
तत्व से न्यारे निरंजन दंडवत मेरी |
ढूंढने से तू न मिलता, न वेद पढ़ने से,
न मंत्र के आधीन हो, न जंत्र मढ़ने से,
निराकार ओंकार, स्वरूप भासता,
ब्रह्मा शेष शारद, भूले तेरा रास्ता,
ना रंग तेरा श्याम, धोला पीत सुनहरी,
तत्व से ... ||
योगी लगावें ध्यान तेरा, स्वांस रोककर,
कोई न पाया पार हठी, प्राण झोंक कर,
तेरा पता कैसे लगे प्रभु, कौन जाना है,
तेरी कृपा बिन समझलो, सब भेद छाना है,
प्रतिमा निराली ज्योति तेरी, किस ने जा हेरी,
तत्व से ...||
तेरा ठिकाना प्रेम के दरबार में देखा,
प्रेम ही से हो प्रकट संसार में देखा,
देखा जहाँ तो तू मिला, घट आर में देखा,
तेरा निराला रूप, पारावार में देखा,
हर वक्त इंतजार में हूं, साँझ सवेरी,
तत्व से ...||
तुम प्रेम ड़ोरी से, गहरे बंधाए हो,
भक्त की पुकार सुन दौरी आये हो,
बिन स्वार्थ का प्रेमी मिले, वही प्रेम प्यारा है,
सत प्रेम भक्तों को प्रभु, तुमने उबारा है,
शिवदीन प्रेमी चरण का, कर जोर कर टेरी,
तत्व से ...||