तथाकथित सफल लोगों के बारे में चंद पंक्तियाँ / रमण कुमार सिंह
तथाकथित सफल लोगों को
बचपन से ही पता होता है कि
उन्हें सफल होना है
उन्हें यह भी पता होता है कि
अच्छा या बुरा कुछ भी नहीं होता
अगर कोई बात मायने रखती है
तो वो यह कि चाहे जैसे भी
हर हाल में सफल होना है
अक्सर तमाम सफल लोगों की जीवनियाँ
थोड़े बहुत हेर-फेर के साथ एक-सी होती हैं
कि शुरुआती दिनों में जीवन
होता है बहुत कठोर और
वे हिम्मत नहीं हारते बल्कि
अखंड विश्वास लिए जूझते रहते हैं
कि वे अच्छे-बुरे काम करते हुए भी
पाले रहते हैं मन में एक बड़ा सपना
अपने आसपास के उथल-पुथल से बेपरवाह
संघर्ष के दिनों में किसी जुनून की तरह
वे सफल होने की तरकीबें आजमाते रहते हैं
हालाँकि उनकी जीवनियों में उन तरकीबों का
कोई जिक्र नहीं होता और न ही
जिक्र होता है उन सीढ़ियों का
जिसका इस्तेमाल वे करते आए हैं
शून्य से शिखर तक पहुँचने में
देशकाल, संस्कृति और समाज का दुःख
उन्हें बस उतना ही दुःखी करता है
जितने से उनकी सफलता में कोई बाधा न पहुँचे
उनका भरसक प्रयास होता है कि
ये दुःख भी उनकी सफलता का पाथेय बन जाएँ
अपनी जीवनियों या आत्मकथाओं में वे
मजे से सफलता के च्यूंगम चबाते हुए
रोमानी अंदाज में उन शिक्षकों या
बुजुर्गों का जिक्र करते हैं
जिन्होंने कभी उन्हें बचपना करने के लिए
मारा-पीटा या डाँटा था
और उस चोट के बाद ही
उनकी सफलता का प्रस्थान बिन्दु शुरू हुआ था
कभी-कभी गाँव-कस्बे की उस लड़की का जिक्र भी
रोमानी भाव से ही वे करते हैं
जो किशोर उम्र के भावुक दौर में
उनका पहला क्रश था।
लेकिन उन आत्मकथाओं में
औपचारिकता कृतज्ञता ज्ञापन से अलग
किसी भी स्त्री का जिक्र नहीं होता
जो उनकी सफलता के पीछे होती है।
मित्रो, हो सकता है सफल लोगों के बारे में
और भी बहुत कुछ लिखा जा सके
जिसका मुझे पता नहीं
क्योंकि न तो मैं सफल हो पाया
और न ही ऐसे सफल लोगों का
साथ मुझे पसंद आया
मगर आज मुझे उस मित्र की
बहुत याद आ रही है
जिसने कभी कहा था कि
दूसरों की जेब से
अपनी जेब में रुपए रखवाने की कला ही
जीवन की सबसे बड़ी सफलता है।