ओ शोकरत सुलोचना!
मत करो इतना विलाप
धीरज धरो
अविरल बहते आँसू पोंछ
पूछो, अहिल्या उद्धारक
मर्यादा पुरुषोत्तम
स्त्रियों को आदर देने वाले
एक पत्निव्रता?
तथाकथित भगवान से
आखिर क्या था
तुम्हारा अपराध
जो उसने अपने ही हाथों
तुम्हें वैधव्य की सजा दी
शायद
तुम्हारे क्रन्दन से ही
डरकर उसने
सरयू में कूद
आत्महत्या की हो
इससे पहले
कि उसकी आत्मा
यदि कोई मोक्ष हो तो,
पाए
तुम पूछो उससे अपना अपराध
हम भी जानना चाहे हैं
तुम्हारा अपराध।