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तन्हा शुरू किया था जो सफर कैसा है / मोहम्मद इरशाद

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तन्हा शुरू किया था जो सफर कैसा है
दिल में तेरे छुपा हुआ वो डर कैसा है

घर छोड़ के तो आ गये जंगल में अब बता
बरसों बिताये जिसमें वो घर कैसा है

साये पे जो तुम्हारे रखता था हर कदम
मंजिल के तलबगार हमसफर कैसा है

छाँव में जिसकी बैठके बचपन गुजारा था
कुछ याद है ऐ दोस्त वो शजर कैसा है

अल सुबह एक तारा मुझसे ये कहता है
अच्छा हूँ मैं इधर बता तू उधर कैसा है

‘इरशाद’ हर एक शख़्स को अपना बनाता है
ना जाने उसके पास ये हुनर कैसा है