गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 24 अगस्त 2014, at 12:50
तन-मन-धन अर्पन कियौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
हनुमानप्रसाद पोद्दार
»
पद-रत्नाकर
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
(राग माड़)
तन-मन-धन अर्पन कियौ सब तुम पै ब्रजराज।
मन भावै सोई करौ हाथ तुम्हारे लाज॥