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तन तरूवर मंजरैलें रे दैवा बोललै कोयलिया / राम शर्मा 'अनल'

तन तरूवर मंजरैलें रे दैवा बोललै कोयलिया
खुशबू में डॅबी गेलै देहिया रे दैंवा गमकै डगरिया
नस नस तड़कै पोर पोर पारे फड़कै
हाथोॅ के कंगन झन झन झनकै
लट आबेॅ खेलै लटझूमरी रे दैवा पिन्हथैं टिकुलिया
टिटभाँटी फूल नाँखी मन बौरैलै
गोटा कियारी नाँखी तन ओरमैलै
मस्की केॅ मुस्कै अंगिया रे दैवा खुली गेलै बखिया
पुरवा झोंका पर ऐलै अंगेठी
केना केॅ राखबै दिल केॅ समेटी
बाट चौबाट छिरयाबै रे दैवा जेना फुल पतिया
खेत बारी लागै जेना कनियाँ
मड़वा लगै सौंसे है दुनियाँ
डाहुक रंग भेलै अँखिया रे दैवा छुटलैं कजरिया
तारू फुटै प्रास अधर कर्पूरी
कंठ गोरोचन दांत कस्तूरी
आठो अंग कूटै अठंगर रे दैवा चनकै छतिया
विरहा बतासें अनल सुलगाबै
लहकि लहकि बदन सुलसाबै
सुतलो कामना जगाबै रे दैवा आँखि कटै रतिया