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तन बहो जात हर नाम बिना / संत जूड़ीराम
Kavita Kosh से
तन बहो जात हर नाम बिना।
नहि सतसंग कियो साधुन को हर चर्चा नहिं एक दिना।
मन पाखंड दंभ नहिं छोड़े भूल रहो झूठी रचना।
जा दिन खबर समारो काल अचानक गहे तिदना।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें जो जीवन तू है सपना।