Last modified on 16 अक्टूबर 2011, at 06:19

तपती धरती माथै लोर और हां और / सांवर दइया

तपती धरती माथै लोर और हां और
बरसै भलांई लगा जोर और हां और

ऐकर कीं तो बुझगी आ अछेही तिरस
हरखण लाग्यो मन-चोर और हां और

मन मरजी म्हांरी जमानै रो कांई
हुवण दो जे हुवै शोर और हां और

बस आ घड़ी मिलण री अमर हो जावै
बाढो बिजोग रा थोर और हां और

सांस सागै गुंथ सांस काढै रंग नुंवो
निखरै रूप जाणै भोर और हां और