तुम मेरी हो भी जाओ
तब भी तो
होंगे ये दुख और ये जुल्मोसितम
ठह-ठह हँसेगा असत्य
नाचेगी नंगी दरिन्दगी
होगी ज़माने की भूख
दर्द से फटेगा कलेजा
रात भर न आएगी नींद
आएगी शर्म अपने सोने पर
तुम मेरी हो भी जाओ
तब भी तो
आएगी शर्म अपने होने पर!
तुम मेरी हो भी जाओ
तब भी तो
होंगे ये दुख और ये जुल्मोसितम
ठह-ठह हँसेगा असत्य
नाचेगी नंगी दरिन्दगी
होगी ज़माने की भूख
दर्द से फटेगा कलेजा
रात भर न आएगी नींद
आएगी शर्म अपने सोने पर
तुम मेरी हो भी जाओ
तब भी तो
आएगी शर्म अपने होने पर!