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तब सोचो / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
सीख बड़ों की
और मिले छोटों का प्यार
तब सोचो
कितना सुंदर होगा संसार ।
हवा ताज़गी, धूप उजाला
नदिया मीठा पानी
सब के सब देते हैं कुछ
यह प्रकृति बड़ी है दानी
हमसे भी हो कभी किसी का
कुछ उपकार
तब सोचो
कितना सुन्दर होगा संसार ।
वृक्ष मधुर फल देते
सूखी लकड़ी बन कट जाते ।
मगर हमारा छोटा आँगन
फूलों से भर जाते
हम भी बाँटें अगर कभी
ख़ुशियाँ दो-चार
तब सोचो
कितना सुन्दर होगा संसार ।