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तभी से / राजुला शाह

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झाड़ के रंग से अलग
कब झरे ये
छत में बिखरे
रंग
भूल पिछला रूप
भूरे को चुना
साथ इनके
हवा के पर
रंग गये
फिर
हवा भूरी हो
फिरे है
तभी से।