तमाम रास्ता फूलों भरा है मेरे लिए / मनचंदा बानी
तमाम रास्ता फूलों भरा है मेरे लिए
कहीं तो कोई दुआ माँगता है मेरे लिए
तमाम शहर है दुश्मन तो क्या है मेरे लिए
मैं जानता हूँ तेरा दर खुला है मेरे लिए
मुझे बिछड़ने का ग़म तो रहेगा हम-सफ़रो
मगर सफ़र का तक़ाज़ा जुदा है मेरे लिए
वो एक अक्स के पल भर नज़र में ठहरा था
तमाम उम्र का अब सिलसिला है मेरे लिए
अजीब दर-गुज़री का शिकार हूँ अब तक
कोई करम है न कोई सज़ा है मेरे लिए
गुज़र सकूँगा न इस ख़्वाब ख़्वाब बस्ती से
यहाँ की मिट्टी भी ज़ंजीर-ए-पा है मेरे लिए
अब आप जाऊँ तो जा कर उसे समेटूँ मैं
तमाम सिलसिला बिखरा पड़ा है मेरे लिए
ये हुस्न-ए-ख़त्म-ए-सफ़र ये तिलिस्म-ख़ाना-ए-रंग
के आँख झपकूँ तो मंज़र नया है मेरे लिए
ये कैसे कोह के अंदर में दफ़्न था 'बानी'
वो अब्र बन के बरसता रहा है मेरे लिए